Friday, April 15, 2022

BAPS श्रीस्वामीनारायण मंदिर, साळंगपुर, गुजरात (हिंदी ब्लॉग)

अतिसुन्दर लैंडस्केप के बीच BAPSश्रीस्वामीनारायण मंदिर का भव्य भवन 
 

      श्रीकष्टभंजनदेव हनुमान मंदिर, साळंगपुर, गुजरात के पिछले दरवाजे से निकल कर हमलोग BAPSश्री
स्वामीनारायण मंदिर की तरफ बढ़े। गेट के बाहर ही एक बड़ी बड़ी सींगों वाली गौ माता के दर्शन हुए। 
मंदिर द्वार से बाहर गौमाता के दर्शन 

           जिस गेट से हमलोगों ने प्रांगण में प्रवेश किया, उधर मुख्य मंदिर के बगल वाला भाग हमारे सम्मुख था। गर्भ गृह दोतल्ले के ऊपर था जहाँ जाने के लिए बगल से भी सीढ़ियाँ बनी हुई हैं। किन्तु हमारे सामने वाली सीढ़ियों से प्रवेश बंद था। हमलोग मंदिर के सामने पहुंचे जहाँ से भव्य मंदिर के भवन का दर्शन हो रहा था। मंदिर में अभी भी निर्माण कार्य का "फिनिशिंग" कार्य चल रहा था जिसके "शटरिंग" लगे हुए थे। सीढ़ियों से चढ़कर प्रथम तल पर पहुंचे जहाँ एक हॉल में अनेक संतों के चित्र और विवरण थे। इससे ऊपर वाले तल पर जाने पर देखा की गर्भ गृह के चारो तरफ वरामदे से बायीं ओर जाने का रास्ता रखा गया था किन्तु एक रस्सी से अवरोध जैसा बनाया गया था। अंदर गर्भ गृह के  सामने हॉल में लोग मौजूद थे। मैं सोच ही रहा था कि अंदर जाने की क्या व्यवस्था है, तभी रस्सी के बगल में बैठी एक बुजुर्ग महिला ने गुजराती में हमें कुछ कहा। थोड़ी कठिनाई से उसने हमें यह समझाया कि अन्दर सिर्फ भाई लोग ही जा सकते हैं, बहनों का जाना वर्जित है। इसके बाद झुककर रस्सी के नीचे से मैं अंदर गया। हॉल से गर्भ - गृह में कई देव - विग्रहों का दर्शन किया जिनमे श्रीराम, हनुमान सहित श्री स्वामीनारायण प्रभु भी थे। दर्शन कर मैं बगल वाली सीढ़ियों से नीचे उतरा। सीढ़ी पर कई छात्र पारम्परिक धोती -कुर्ता में बैठे थे। पता चला कि इसी परिसर में एक महाविद्यालय भी है जहाँ संस्कृत और वेदों की शिक्षा दी जाती है। छात्रों के रहने की व्यवस्था भी परिसर में ही है। फूल -पत्तियों से सजे वाटिका और करीने से काटे गए हेज के कारण यह परिसर बहुत ही सुन्दर है। भव्य मुख्य मंदिर के सामने एक ऊँचे पेडस्टल पर घोड़े पर सवार भगवान की सुनहली मूर्ति है जो बहुत ही भव्य है। 
BAPSश्रीस्वामीनारायण मंदिर, सालंगपुर के सामने
घोड़े पर सवार प्रभु की सुनहली प्रतिमा

       इस घोड़े वाली मूर्ति के सामने लगभग १०० फ़ीट की दूरी पर, एक चबूतरे पर भगवान के चरण-कमल बनाये गए हैं, जिसकी भक्तगण परिक्रमा कर रहे थे। यहाँ भी महिलाओं का प्रवेश वर्जित था। मुख्य मंदिर से निकलने के बाद मैंने भी यहाँ परिक्रमा की और चरण -कमलों को प्रणाम किया।  
   यहाँ से थोड़ी दूर पर एक सुन्दर सा मंदिर और दिखा तो उधर भी गया। यहाँ स्वामीनारायण -संप्रदाय से जुड़े और इसे मजबूत कर जन जन तक फ़ैलाने में योगदान देने वाले गुरुओं की मूर्तियाँ थीं। भक्तगण गुरुओं को प्रणाम कर रहे थे। इस मंदिर से निकल कर मैं मुख्य मंदिर तरफ वापस आने लगा जिसके पास पत्नी और पुत्री मेरी प्रतीक्षा कर रहे थे। 
संतों को समर्पित मनोहारी मंदिर, साळंगपुर, गुजरात

     मंदिर से निकलते ही पास में एक पवित्र वृक्ष है जिसको भक्त जन श्रद्धापूर्वक स्पर्श कर प्रणाम कर रहे थे। मैंने भी वैसा ही किया किन्तु उस वृक्ष की प्रजाति नहीं पहचान पाया। यहाँ उस वृक्ष की फोटो दे रहा हूँ। 
पवित्र वृक्ष, Sacred tree, श्रीस्वामीनारायण मंदिर-
परिसर, साळंगपुर, गुजरात
Saalangpur, Gujrat

       यहाँ आ कर बहुत ही मन को शांति मिली और जो सौंदर्य के साथ भव्यता का संगम है वह अद्भुत है। आप की भक्ति का स्तर जो भी हो, किन्तु यहाँ आ कर मंदिर की वास्तुकला, वाटिका (गार्डन) को संजो कर रखने का प्रयास, अतिसुन्दर लैंडस्केपिंग, परिसर की स्वच्छता और इस संप्रदाय द्वारा शिक्षा के प्रसार की सराहना किये बिना न रह पायेँगे। सुन्दर नेपथ्य के परिदृश्य के कारण हमने बहुत से फोटो लिए तब स्वयं को इस अनमोल क्षण में पाने के लिए प्रभु का आभार मानते हुए परिसर से बाहर आये। 
 (Official site of this temple is - https://www.baps.org/home.aspx)

       अभी तक सबेरे से हम लोग बिना भोजन-पानी के ही थे क्योंकि श्रीकष्टभंजनदेव हनुमान मंदिर और BAPS श्रीस्वामीनारायण मंदिर दोनों ही जगह दर्शन करने थे। अगला पड़ाव 80 किलोमीटर दूर भावनगर से आगे निष्कलंक महादेव का दर्शन करना था। अतः हमलोगों ने अल्पाहार करना उचित समझा। दोनों मंदिरों के बीच वाले रास्ते (जिसमें कई छोटे-छोटे दुकान थे) से चल कर हमलोग एक साइड पहुंचे जहाँ एक ढंग का देसी दुकान नजर आया। यहाँ पकौड़े और गुजराती नाश्ते मिल रहे थे और साथ में चाय भी। हमने स्वादिष्ट नाश्ते का मजा लिया और अतिथिशाला में अपना कमरा खाली कर चाभी काउंटर पर दिया। उन्होंने मेरी सिक्योरिटी मनी वापस की और हमलोगों ने सामान कार में रख कर भावनगर की तरफ प्रस्थान किया जहाँ समुद्र तट के पास निष्कलंक महादेव हैं। इसी के पास हमारा शान्वी रिसोर्ट में कमरा आरक्षित था। 
      अगले ब्लॉग पोस्ट में निष्कलंक महादेव की यात्रा और दर्शन का वर्णन करूँगा।               

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