पिछले ब्लॉग निष्कलंक महादेव, भावनगर, गुजरात (हिन्दी ब्लॉग) से आगे .......
तख्तेश्वर महादेव मंदिर, भावनगर, गुजरात Takhteshwar Mahadeva Temple, Bhavnagar, Gujrat |
हमलोगों ने सवेरे स्नान कर बिना कुछ खाये तख्तेश्वर महादेव, भावनगर में पूजा करने का सोचा क्योंकि यह स्थान शान्वी गेस्ट हॉउस (जहाँ हमलोग ठहरे थे) से मात्र 25 किमी की दूरी पर है। निकलते -निकलते नौ बज चुके थे। रास्ते में दोनों तरफ कुछ कीकर की झाड़ियाँ नजर आ रहीं थीं। जमीन उपजाऊ नहीं लग रही थी। धीरे -धीरे गर्मी बढ़ने लगी। लगभग एक घंटे के अंदर हमलोग गूगल मैप के सहारे यहाँ पहुंचे। मंदिर एक छोटी पहाड़ी टीले के ऊपर बना था। गाड़ी का रास्ता आधी पहाड़ी पहाड़ी तक बना था। जगह को अच्छे से विकसित किया गया था। जो लोग पूजा के निमित्त न आ कर सिर्फ मनोरंजन के लिए आना चाहें तो उनके लिए भी जगह अच्छी है। साफ़-सुथरी। बैठने के लिए कुछ बेंच भी बने हैं। वहाँ गाड़ी खड़ी कर हमलोग सीढ़ियों से ऊपर मंदिर तक पहुँचे जो टीले पे सबसे ऊपर बना था। साफ़ सुथरा पर एक्का दुक्का आदमी। गर्भ गृह के सामने बरामदे के एक कोने में एक पंडित जी कुछ जप कर रहे थे।एक मालाकार गर्भगृह के बाहर बायीं ओर बैठा फूल माला बेच रहा था। गर्भ गृह में सामने तख्तेश्वर महादेव शिवलिंग के रूप में विराजमान थे। शिवलिंग के बायीं ओर एक बुजुर्ग पुजारी बैठे थे। गर्भ गृह सामने बरामदे से दो फ़ीट ऊँचाई पर था। हम सोच ही रहे थे कि पता नहीं अंदर जाने की परंपरा है या नहीं, तभी एक सज्जन आये और अंदर जाकर पुजारी के सामने बैठे और पूजा की। उसके निकलने के बाद हमलोगों ने भी अंदर जा कर पूजा करने का अभिप्राय पुजारी जी को बताया। उनकी स्वीकृति मिलने के बाद मालाकार से फूल -माला लेकर परिवार सहित अंदर अंदर गए और पुजारी जी के निर्देश के अनुसार पूजा कर निकले।
तख्तेश्वर महादेव मंदिर, भावनगर, गुजरात Takhteshwar Mahadeva Temple, Bhavnagar, Gujrat |
हमें यहाँ आने से पहले यह अनुमान था कि साळंगपुर की तरह ही यहाँ भक्तों की काफी भीड़ होगी और और मंदिर में पूजा करते-करते घंटे भर का समय तो निकल ही जायेगा। पर यहाँ तो मुहल्ले के शिव-मंदिर जैसा ही नजारा था और दस मिनट में ही पूजा से निबट गए। काफी समय था अभी हाथ में। तो मंदिर के चारों तरफ घूमने लगे। यहाँ से शहर का अच्छा दृश्य दिखाई पड़ रहा था। इस पहाड़ी पर भी कई प्रकार के पेड़ लगाए गए थे जिसमें बेल के पेड़ अधिक थे, कारण स्पष्ट था कि शिव को बेलपत्र बहुत प्रिय हैं। हमने मोबाइल से कुछ चित्र लिए और कुछ देर मंदिर की ही छाया में बैठे।
Baba Takhteshwar Mahadeva, Bhavnagar, Gujrat |
अब सोचा कि अगला जो मंदिर सोचा था श्री कोडियार माता मंदिर, वहाँ दर्शन -पूजन कर लें। गूगल मैप में कई कोडियार माता का मंदिर दिख रहा था, पर जो मंदिर मैप पर असली लग रहा था वह मात्र चार किमी दूर ही था। फिर भी एक बार किसी स्थानीय से पूछ लेने का सोचा। तो गए उसी मालाकार के पास। उसने तो बताया कि मंदिर अट्ठारह किमी दूर है। बड़ा कन्फ्यूजन हो गया। भूख लग रही थी, ऊपर से गर्मी भी बढ़ती जा रही थी। सोचा जैसे हमलोगों के तरफ काली माँ का मंदिर होता है, एक शहर में कई, तो वैसे ही होगा। क्यों न पास वाले में जाएँ, मैप में तो जैसे इसे ही बड़ा और ओरिजिनल मंदिर बता रहा था। सो हमलोग मैप देखते -देखते उस स्थान पर पहुंचे। पर हमलोगों का यह निर्णय बिलकुल गलत निकला। मैप के लोकेशन पर कई बार आगे पीछे हुए, एक साधारण मंदिर भी न था वहाँ। स्थानीय लोगों से पूछा पर सभी ने कहा यहाँ पर ऐसा कोई मंदिर नहीं है। पता नहीं किसने मैप पर यह इनफार्मेशन डाला था, हमलोग बिलकुल मायूस हो गए।
भावनगर में तख्तेश्वर महादेव मन्दिर |
अब असली मंदिर दूसरी जगह खोजने की हिम्मत न रही। पता नहीं खोजते हुए इस गर्मी में भटकें और सही मंदिर मिले न मिले। भावनगर हमलोग लगभग पार ही कर चुके थे। हमलोगों ने अहमदाबाद की ओर बढ़ने का निश्चय किया और सोचा कि अगर एक घंटे के अंदर हाईवे के किनारे कोई ढंग का मंदिर मिलेगा तो पूजा कर लेंगे क्योंकि अभी तक हमलोग भूखे ही थे। शहर के बाहर निकलते ही फिर वैसा ही वातावरण। दूर तक परती सफ़ेद मैदान जिसमें कहीं कहीं झाड़ियाँ। कई जगह बड़ी -बड़ी मशीनों से नमक के टीले लगाए जा रहे थे और ट्रकों में लादे जा रहे थे। तब मैंने सोचा कि ये परती जमीन सफ़ेद क्यों नजर आ रही है। वस्तुतः खम्भात की खाड़ी से समुद्र का पानी इनमें आता है जो सूखने पर सफ़ेद नमक की परत के रूप में जमीन पर बैठ जाता है। जिन खेतों में बार बार समुद्र का पानी फैला कर सुखाया जाता है वहाँ नमक की मोटी परत आ जाती है जिसे समेत कर इकट्ठा किया जाता है और बेचा जाता है।
भावनगर, गुजरात में तख्तेश्वर महादेव पहाड़ी पर एक बेल से लदा वृक्ष |
भावनगर से अहमदाबाद निकलते ही एक सुन्दर पुल के ऊपर घूमती चिड़ियाँ |
बाहर का इलाका बहुत ही भीड़ भरा और मेले जैसा था। सड़क तरह -तरह की दुकानों से भरा पड़ा था। बस पैदल या बाइक से ही चल सकते थे। सड़क से कुछ गलियाँ भी निकल रही थीं जिसमे बाहर से छोटे लगने वाले तरह -तरह के दूकान नजर आ रहे थे। पत्नी ने खोज कर एक साड़ी के दूकान से कुछ साड़ियाँ खरीदीं। यह पूरा इलाका मुस्लिम बहुल है और अधिकतर दुकान उन्हीं लोगों का है।
अब शाम हो चला था। हमलोग भी थक गए थे। आठ बजे फ्लाइट थी। तो सोचा समय से पहले ही एयरपोर्ट पहुँच कर आराम करेंगे। इसलिए सालंगपुर और भावनगर की यात्रा पूर्ण कर हमलोग वापस लौटे।
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33. Rajrappa Waterfalls, Ramgarh, Jharkhand
32. Khutta Baba Mandir and the Tenughat Dam
31. Maya Tungri Mandir - The Mahamaya Temple, Ramgarh, Jharkhand
30. Toti Jharna, Tuti Jharna Temple at Ramgarh, Jharkhand
29. ISKCON Temple and The Birla Temple at Kolkata
28. Belur Math, Howrah
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