पिछले ब्लॉग श्रीत्रयम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग यात्रा से आगे :--
राम कुण्ड, पञ्चवटी, नाशिक |
होटल से चेक आउट कर हमलोग तो निकल चुके पर भाड़े की जो हम लोग टैक्सी लेते हैं वे लोग बचत के लिए प्रायः सीo एनo जीo वाले टैक्सी लाते हैं, अब सीo एनo जीo भरवाने के लिए पेट्रोल पम्प पर भीड़ के कारण एक घंटे लग गए। पञ्चवटी, राम कुंड पहुँचते -पहुँचते हमें साढ़े बारह बज गए। पंचवटी नाशिक का एक ऐसा क्षेत्र है जो श्रीराम जी के वनवास से जुड़ा है। नाशिक में ही सूर्पनखा की नाशिका (नाक) कटी थी इसलिए यहाँ का ऐसा नाम भी पड़ा। पंचवटी में कई ऐसे जगह हैं जो सीता-राम से सम्बन्ध रखते हैं। यहाँ ऑटो वाले प्रति व्यक्ति 100 रूपये ले कर लगभग 17 स्थान घुमाते हैं जिसमें करीब डेढ़ से दो घंटे लगते हैं। हमारे पास समय ज्यादा नहीं था इसलिए हमलोग सिर्फ राम कुंड ही घूमे। यहाँ टैक्सी को पार्किंग में रखकर पैदल ही आसपास देखने लगे। पास में कई फल वाले शरीफा, अमरुद, सेव, आदि बेच रहे थे। जो बड़ा वाला शरीफा हमलोग 120 - 150 रूपये में लाते हैं वो 100 रूपये में तीन किलो बोल रहे थे। आगे बढे तो दूसरा 100 में चार किलो बोल कर बुलाने लगा। हमें आश्चर्य हुआ पर शीध्र ही पता चला कि तौल में कुछ हेर फेर है। हमने 100 रूपये का तुलवाया, देखने में कम से कम दो किलो लग ही रहा था। फिर भी सस्ता था। ले लिया। यहीं हनुमान जी की खुले में एक बड़ी प्रतिमा है जिसमें दोनों तरफ हनुमान जी बने हैं। इनका नाम दुटोंडिया मारुती मंदिर है। ठीक इसी जगह गोदावरी पर एक कम ऊंचाई का चेक डैम बनाया गया है जिससे कुण्ड में पानी बना रहे। चेक डैम के बगल -बगल कम ऊँचाई का ही एक पुल बना है जिससे हो कर हमलोग दूसरी पार गए। उसपार एक और तालाब था जिसे मैप पर गाँधी तालाब लिखा है। इसमें बोटिंग हो रही थी, 30 रूपये प्रति व्यक्ति के हिसाब से। हमलोगों ने स्पीड बोट से बोटिंग का आनंद लिया। करीब डेढ़ बज रहे थे। हमें शिरडी जाना था और दर्शन कर फिर घृष्णेश्वर में रात्रि विश्राम करना था जहाँ पहले से ही होटल बुक कर रखा था। सो हमने यहाँ से चलने का फैसला किया।
रामकुण्ड, पञ्चवटी, नाशिक, महाराष्ट्र |
सड़क अच्छी थी। हमलोग लगभग दो घंटे में शिरडी पहुँच गए। यहाँ यह बता दूँ कि हमारे समाज में कुछ लोग साईं बाबा के इतने भक्त हैं कि भगवान की पूजा करें या न करें साईं बाबा की पूजा अवश्य करेंगे। यदि भगवान की पूजा करते भी हैं तो भगवान की फोटो के साथ साईं बाबा की भी फोटो रखेंगे। लेकिन सनातन धर्म के शंकराचार्यों ने स्पष्ट कहा है कि इनकी मूर्ति ईश्वर की मूर्ति के बगल में नहीं रखी जानी चाहिए। यदि इनकी पूजा करते है तो अलग स्थान या मंदिर में करनी चाहिए। ऊपर से सोशल मीडिया से यह काफी प्रचारित है कि ये मुसलमान थे। मेरे कुछ रिश्तेदार तो बहुत साईं भक्त हैं किन्तु मेरे परिवार में ऐसा नहीं है। इसी लिए जब मैंने शिरडी जाने का प्लान किया तो परिवार ने कुछ ज्यादा उत्साह नहीं दिखाया। मैं भी विशेष कर यहाँ का कार्यक्रम नहीं बनाता किन्तु यह हमारे रास्ते में था और मेरा मानना है कि ये भले ही भगवान नहीं हैं किन्तु एक संत तो हैं। जो भी इनकी कहानियाँ सुनी हैं उनमें इन्होंने परोपकार ही किया है और मुसलमान हो कर भी कोई धर्म -परिवर्तन नहीं कराया और न ही मूर्तिपूजकों के प्रति नफरत दिखाई। अतः श्रद्धा के साथ दर्शन करने में कोई बुराई नहीं।
दुटोंडिया हनुमान, रामकुंड, नाशिक |
ड्राइवर ने कहा था कि बहुत लम्बी कतार होती है तो हमने ऑनलाइन ही 200 रूपये वाला पास बुक कर रखा था। यहाँ पहुँचते ही गाइड के नाम पर दलाल जैसे लोग मिलेंगे। पहली बार यहाँ आये थे, गाड़ी के साथ एक गाइड लग गया। बोला गाड़ी सड़क पर रखनी होगी सौ रूपये लगेंगे, अंदर 50 में लगवा दूंगा और गाइड भी कर दूंगा। हम उसकी बातों में आ गए। गाड़ी तो उसने लगवा दी पर एक दुकान में जूते रखवाए और प्रसाद के नाम पर चादर मिठाई वगैरह लगा कर 950 के बिल बना दिए। दूकान में ही सबके फ़ोन रखवाए। एक छोटा पैकेट हमें दिया कि साईं बाबा के पास इसे टच करवा लेना। दूसरा बड़ा वाला जिसमें चादर थे उसने एक लड़के से भिजवा दिया कि यह इसकी पूजा करवा कर ले आएगा। किन्तु बहार आने तक हमने उसे नहीं देखा कि वह गया भी या नहीं। पर लौटते समय दुकान से हमे दे दिया गया।
रामकुंड, पंचवटी के गाँधी तालाब में स्पीड बोटिंग |
बताया गया कि सीनियर सिटीजन का स्पेशल प्रवेश द्वार है जिसमें बिना पास के ही आधार कार्ड दिखा कर एक अटेंडेंट के साथ जा सकते हैं, जल्दी दर्शन हो जायेगा। पर हम में से सिर्फ एक ही सीनियर सिटीजन थे और कुल आदमी चार। यद्यपि हमारे पास स्पेशल पास थे, पर गाइड ने कहा कि यह बोलना कि एक आदमी को चलने में दिक्कत है। तो सीनियर सिटीजन के एंट्री गेट पर हमने जा कर बोला कि एक सीनियर सिटीजन हैं, एक को चलने में प्रॉब्लम है और हमारे पास स्पेशल पास भी है। उसने कहा चलने में दिक्कत है तो गेट नंबर तीन से जाओ क्योंकि इधर से सीढ़ी चढ़नी पड़ेगी। अब हमलोग घूम कर तीन नंबर गेट से गए। चलते हुए हमलोग जब दर्शन हॉल से पहले पहुंचे तो आगे लगभग 40 व्यक्ति कतार में होंगे। साईं बाबा की संगमरमर की बड़ी सी सुन्दर प्रतिमा के सामने दो सेवादार बैठे थे जो दर्शनार्थियों की दी गयी वस्तुओं को बाबा के पैरों के सामने छुआ कर वापस कर रहे थे। हमने देखा, एक महिला ने अपने दुधमुहे बच्चे को भी दिया जिसे बाबा के पैरों के सामने रखकर वापस किया गया।
शिरडी के साईं मंदिर के बाहर के प्रवेश-द्वार |
अपनी बारी आने पर हमलोग भी दर्शन करते हुए माथा टेका और बाहर निकल आये। चूँकि यहाँ मोबाइल नहीं लाने दिया जाता, (हमलोग अपना मोबाइल दूकान में ही जमा कर आये थे) यहाँ अंदर कोई फोटो न ले सके। निकास द्वार से निकल कर परिसर में आते समय सभी दर्शनार्थियों को एक -एक प्रसाद का पैकेट दिया जा रहा था। जिसे ले कर हमने खाया। परिसर में गणेश और शनि का भी एक एक छोटा मंदिर भी है। इस प्रकार दर्शन कर हमलोग परिसर से बाहर निकले, दुकान से जूते, चप्पल, मोबाइल और प्रसाद आदि ले कर भोजन करने जाना उचित समझा क्योंकि अब भूख लगने लगी थी। उस दुकान के अपोजिट ही एक बढ़िया रेस्टॉरेंट था। तो हम सभी ने वहाँ पर खाना खाया। फिर अपने गंतव्य श्रीघृष्णेश्वर धाम के लिए निकल पड़े।
(अगले पोस्ट में श्रीघृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग दर्शन-पूजन तथा एलोरा गुफाएँ)
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इस ब्लॉग के पोस्टों की सूची
33. Rajrappa Waterfalls, Ramgarh, Jharkhand
32. Khutta Baba Mandir and the Tenughat Dam
31. Maya Tungri Mandir - The Mahamaya Temple, Ramgarh, Jharkhand
30. Toti Jharna, Tuti Jharna Temple at Ramgarh, Jharkhand
29. ISKCON Temple and The Birla Temple at Kolkata
28. Belur Math, Howrah
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