जैसा कि ज्ञात है कि भारत में चार धाम हैं :-
2. श्रीजगन्नाथधाम,
3. श्रीद्वारकाधाम और
4. श्रीरामेश्वरम धाम।
इसी प्रकार बारह ज्योतिर्लिंग हैं :-
1. सोमनाथ (गुजरात के सौराष्ट्र में)
2. मल्लिकार्जुन (आंध्र-प्रदेश के श्रीशैलम पर्वत पर)
3. महाकाल (मध्य-प्रदेश के उज्जैन में)
4. ओंकार -अमलेश्वर (मध्य-प्रदेश के खंडवा में नर्मदा नदी के तट पर)
5. बैद्यनाथ -(झारखण्ड के देवघर में)
6. भीमाशंकर -(महाराष्ट्र के पुणे जिले में)
7. रामेश्वर -(तमिलनाडु के रामेश्वरम में सेतु-बंध के पास)
8. नागेश - (गुजरात के द्वारका में दारुका-वन में )
9. विश्वनाथ -(उत्तर-प्रदेश के वाराणसी में)
10. त्रयम्बकेश्वर -(महाराष्ट्र के नाशिक के पास त्रिम्बक में)
11. केदारनाथ -(उत्तराखंड में हिमालय के केदार पर्वत पर)
12. घुश्मेश (घृष्णेश्वर) - (महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजी नगर/औरंगाबाद में)
मुंबई से शुरू राउंड -ट्रिप यात्रा का रूट |
उपरोक्त चार-धामों के स्थान में तो कोई विवाद नहीं है किन्तु द्वादश ज्योतिर्लिंग के कुछ स्थानों के बारे कुछ लोगों की मान्यताएँ अलग हैं। इनमें से कुछ मैं वर्णन कर रहा हूँ। वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग के बारे में कुछ लोगों की धारणा है कि महाराष्ट्र के परली में जो वैद्यनाथ हैं वह ज्योतिर्लिंग हैं क्योंकि संस्कृत में "द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तोत्र" में जो नाम-स्थान बताया गया है उसमें "परल्यां वैद्यनाथं" कहा गया है। जबकि कुछ लोगों का कहना है कि परली का अर्थ चिता-भूमि होता है जो कि देवघर का क्षेत्र है और यहीं के रावणेश्वर महादेव ही बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग हैं। आदि शंकराचार्य ने भी बैद्यनाथ को भारतवर्ष के उत्तर-पूर्व में स्थित बताया है, इस हिसाब से देवघर के महादेव ही बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग होते हैं।
उसी प्रकार "द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तोत्र" में "नागेशं दारुका वने" बताया गया है। गुजरात के द्वारका में दारुका-वन स्थान पर नागेश ज्योतिर्लिंग बताया जाता है जिस मंदिर का उद्धार प्रसिद्ध संगीत कंपनी टी-सीरीज के मालिक स्वo गुलशन कुमार ने कराया था। कथाओं में दारुका वन का जैसा वर्णन है वह बंजर इलाके की तरह है और यहाँ आस - पास का क्षेत्र बंजर और कम पानी वाला भी है। पर महाराष्ट्र के औंधा नामक स्थान पर एक प्रसिद्ध नागेश्वर महादेव मंदिर है जिसे नागेश्वर ज्योतिर्लिंग होने का दावा कई लोग करते हैं और इस स्थान को दारुका वन भी बताते हैं। इस मंदिर में भी औरंगजेब ने तोड़-फोड़ की थी और मंदिर का ऊपरी ढाँचा गिरा दिया था जिसे प्रसिद्ध महारानी अहिल्याबाई होलकर ने उद्धार कराया। इन महारानी द्वारा भारत के कई मंदिरों का जीर्णोद्धार कराया गया था। इन्होंने उस मंदिर का उद्धार नहीं कराया जो द्वारका के नागेश ज्योतिर्लिंग कहे जाते हैं। इससे ऐसा लगता है कि औंधा महादेव के ज्योतिर्लिंग का दावा सही हो सकता है विशेष कर पत्थर से बने मंदिर के बाहरी सतह पर बहुत महीन कलाकारी से मूर्तियाँ बनायीं गयी हैं जिससे मंदिर की भव्यताओं का पता चलता है। तीसरा दावा झारखण्ड के बासुकीनाथ को भी नागेश ज्योतिर्लिंग होने का है। यह स्थान देवघर से 45 किलोमीटर की दूरी पर है। संभवतः भारत के अन्य स्थानों में भी कुछ को नागेश ज्योतिर्लिंग होने का दावा किया जाता हो।
"द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तोत्र" में डाकिन्यां भीमशङ्करम बताया गया है। पुणे से उत्तर में सह्य पर्वत पर भीमा नदी के किनारे यह ज्योतिर्लिंग स्थित है। पर्वत के एक शिखर का नाम डाकिनी है। किन्तु शिवपुराण की एक कथा अनुसार यह ज्योतिर्लिंग आसाम के कामरूप जिले में गौहाटी के पास ब्रह्मपुर पहाड़ी पर स्थित है। पुनः नैनीताल के उज्जनक नामक स्थान पर एक विशाल शिव मंदिर को भी कुछ लोग भीमशंकर ज्योतिर्लिंग कहते हैं।
भारत के चारों कोने में स्थित चार धामों की हमारी यात्रा पूरी हो चुकी थी। द्वादश ज्योतिर्लिंग में भी दस ज्योतिर्लिंग की यात्रा पूरी कर चुकने के बाद बाकी बचे दो ज्योतिर्लिंग त्रयम्बकेश्वर तथा घृष्णेश्वर के दर्शन की आकांक्षा बहुत थी। अंततः हमने वर्ष 2024 के नवम्बर के अंतिम सप्ताह में इन दोनों देवस्थलों की यात्रा का निर्णय किया। दोनों ही महाराष्ट्र में हैं। जब नक़्शे पर इन दोनों स्थानों को देखा तो यह पाया कि यदि दो दिन यात्रा का समय बढ़ा दिया जाये तो और चार धर्मस्थलों की यात्रा हमलोग कर सकते हैं। ये थे, शिरडी, औंधा नागेश्वर, परली वैद्यनाथ एवं शनि सिंगणापुर। चूँकि हमारे घर से ये धर्मस्थल हजारों किलोमीटर दूर हैं अतः विमान से मुंबई जाकर एक भाड़े का टैक्सी राउंड ट्रिप पर कर लेना ही समय का सदुपयोग एवं आरामदायक होता। तो हमने निम्नलिखित यात्रा-कार्यक्रम बनाया:-
पहला दिन -मुंबई एयरपोर्ट पर उतरना और राउंड ट्रिप वाले टैक्सी से त्रिम्बक (नासिक के पास) पहुंचना।
त्रिम्बक में रात्रि-विश्राम
दूसरा दिन - त्रयम्बक ज्योतिर्लिंग का सुबह में दर्शन-पूजन, दोपहर में नासिक के पंचवटी में राम-कुंड दर्शन, फिर शिरडी के लिए प्रस्थान। शिरडी में साईं-दर्शन के बाद घृष्णेश्वर के लिए बेरूल, औरंगाबाद पहुँचना एवं रात्रि विश्राम।
तीसरा दिन - घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग का दर्शन पूजन, होटल चेक-आउट कर पास की एलोरा गुफाओं का भ्रमण, फिर नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के लिए औंढा हेतु प्रस्थान एवं औंढा में रात्रि विश्राम।
चौथा दिन - नागेश्वर ज्योतिर्लिंग का सुबह दर्शन पूजन, फिर परली के लिए रवाना, दोपहर में परली वैद्यनाथ का दर्शन-पूजन कर शनि-सिंगणापुर के लिए प्रस्थान एवं संध्या में शनि महाराज दर्शन कर वहीँ रात्रि विश्राम।
पाँचवाँ दिन - सबेरे पुनः शनि महाराज का दर्शन पूजन एवं मुंबई के लिए प्रस्थान, मुंबई में रात्रि विश्राम।
छठा दिन - सुबह मुंबई में महालक्ष्मी मंदिर एवं सिद्धिविनायक मंदिर में दर्शन, दिन में मुंबई के प्रसिद्ध स्थलों का भ्रमण एवं संध्या में मुम्बा देवी का आरती दर्शन। मुंबई में रात्रि विश्राम।
सातवाँ दिन -सुबह गेट वे ऑफ़ इंडिया भ्रमण एवं दस बजे एयरपोर्ट के लिए प्रस्थान।
इसी कार्यक्रम के अनुसार हमने अपनी द्वादश ज्योतिर्लिंग यात्रा पूर्ण की जिसमे औंधा नागेश की पूजा से हमारे तीन स्थानों के नागेश ज्योतिर्लिंग दर्शन-पूजन पूर्ण हुए तथा परली वैद्यनाथ दर्शन से दोनों ही बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग (परली एवं देवघर) के दर्शन-पूजन पूर्ण हुए। साथ ही शिरडी में साईं बाबा का दर्शन और सिंगणापुर में शनि महाराज का दर्शन-पूजन का भी पुण्य अवसर मिला। इन यात्राओं का अलग से विवरण आगे ब्लॉग-पोस्टों में दूंगा।
इस यात्रा-कार्यक्रम से यदि आपको इन स्थलों के भ्रमण में कुछ सहायता मिले तो मुझे ख़ुशी होगी।
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इस ब्लॉग के पोस्टों की सूची :-
33. Rajrappa Waterfalls, Ramgarh, Jharkhand
32. Khutta Baba Mandir and the Tenughat Dam
31. Maya Tungri Mandir - The Mahamaya Temple, Ramgarh, Jharkhand
30. Toti Jharna, Tuti Jharna Temple at Ramgarh, Jharkhand
29. ISKCON Temple and The Birla Temple at Kolkata
28. Belur Math, Howrah
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