Friday, April 15, 2022

BAPS श्रीस्वामीनारायण मंदिर, साळंगपुर, गुजरात (हिंदी ब्लॉग)

अतिसुन्दर लैंडस्केप के बीच BAPSश्रीस्वामीनारायण मंदिर का भव्य भवन 
 

      श्रीकष्टभंजनदेव हनुमान मंदिर, साळंगपुर, गुजरात के पिछले दरवाजे से निकल कर हमलोग BAPSश्री
स्वामीनारायण मंदिर की तरफ बढ़े। गेट के बाहर ही एक बड़ी बड़ी सींगों वाली गौ माता के दर्शन हुए। 
मंदिर द्वार से बाहर गौमाता के दर्शन 

           जिस गेट से हमलोगों ने प्रांगण में प्रवेश किया, उधर मुख्य मंदिर के बगल वाला भाग हमारे सम्मुख था। गर्भ गृह दोतल्ले के ऊपर था जहाँ जाने के लिए बगल से भी सीढ़ियाँ बनी हुई हैं। किन्तु हमारे सामने वाली सीढ़ियों से प्रवेश बंद था। हमलोग मंदिर के सामने पहुंचे जहाँ से भव्य मंदिर के भवन का दर्शन हो रहा था। मंदिर में अभी भी निर्माण कार्य का "फिनिशिंग" कार्य चल रहा था जिसके "शटरिंग" लगे हुए थे। सीढ़ियों से चढ़कर प्रथम तल पर पहुंचे जहाँ एक हॉल में अनेक संतों के चित्र और विवरण थे। इससे ऊपर वाले तल पर जाने पर देखा की गर्भ गृह के चारो तरफ वरामदे से बायीं ओर जाने का रास्ता रखा गया था किन्तु एक रस्सी से अवरोध जैसा बनाया गया था। अंदर गर्भ गृह के  सामने हॉल में लोग मौजूद थे। मैं सोच ही रहा था कि अंदर जाने की क्या व्यवस्था है, तभी रस्सी के बगल में बैठी एक बुजुर्ग महिला ने गुजराती में हमें कुछ कहा। थोड़ी कठिनाई से उसने हमें यह समझाया कि अन्दर सिर्फ भाई लोग ही जा सकते हैं, बहनों का जाना वर्जित है। इसके बाद झुककर रस्सी के नीचे से मैं अंदर गया। हॉल से गर्भ - गृह में कई देव - विग्रहों का दर्शन किया जिनमे श्रीराम, हनुमान सहित श्री स्वामीनारायण प्रभु भी थे। दर्शन कर मैं बगल वाली सीढ़ियों से नीचे उतरा। सीढ़ी पर कई छात्र पारम्परिक धोती -कुर्ता में बैठे थे। पता चला कि इसी परिसर में एक महाविद्यालय भी है जहाँ संस्कृत और वेदों की शिक्षा दी जाती है। छात्रों के रहने की व्यवस्था भी परिसर में ही है। फूल -पत्तियों से सजे वाटिका और करीने से काटे गए हेज के कारण यह परिसर बहुत ही सुन्दर है। भव्य मुख्य मंदिर के सामने एक ऊँचे पेडस्टल पर घोड़े पर सवार भगवान की सुनहली मूर्ति है जो बहुत ही भव्य है। 
BAPSश्रीस्वामीनारायण मंदिर, सालंगपुर के सामने
घोड़े पर सवार प्रभु की सुनहली प्रतिमा

       इस घोड़े वाली मूर्ति के सामने लगभग १०० फ़ीट की दूरी पर, एक चबूतरे पर भगवान के चरण-कमल बनाये गए हैं, जिसकी भक्तगण परिक्रमा कर रहे थे। यहाँ भी महिलाओं का प्रवेश वर्जित था। मुख्य मंदिर से निकलने के बाद मैंने भी यहाँ परिक्रमा की और चरण -कमलों को प्रणाम किया।  
   यहाँ से थोड़ी दूर पर एक सुन्दर सा मंदिर और दिखा तो उधर भी गया। यहाँ स्वामीनारायण -संप्रदाय से जुड़े और इसे मजबूत कर जन जन तक फ़ैलाने में योगदान देने वाले गुरुओं की मूर्तियाँ थीं। भक्तगण गुरुओं को प्रणाम कर रहे थे। इस मंदिर से निकल कर मैं मुख्य मंदिर तरफ वापस आने लगा जिसके पास पत्नी और पुत्री मेरी प्रतीक्षा कर रहे थे। 
संतों को समर्पित मनोहारी मंदिर, साळंगपुर, गुजरात

     मंदिर से निकलते ही पास में एक पवित्र वृक्ष है जिसको भक्त जन श्रद्धापूर्वक स्पर्श कर प्रणाम कर रहे थे। मैंने भी वैसा ही किया किन्तु उस वृक्ष की प्रजाति नहीं पहचान पाया। यहाँ उस वृक्ष की फोटो दे रहा हूँ। 
पवित्र वृक्ष, Sacred tree, श्रीस्वामीनारायण मंदिर-
परिसर, साळंगपुर, गुजरात
Saalangpur, Gujrat

       यहाँ आ कर बहुत ही मन को शांति मिली और जो सौंदर्य के साथ भव्यता का संगम है वह अद्भुत है। आप की भक्ति का स्तर जो भी हो, किन्तु यहाँ आ कर मंदिर की वास्तुकला, वाटिका (गार्डन) को संजो कर रखने का प्रयास, अतिसुन्दर लैंडस्केपिंग, परिसर की स्वच्छता और इस संप्रदाय द्वारा शिक्षा के प्रसार की सराहना किये बिना न रह पायेँगे। सुन्दर नेपथ्य के परिदृश्य के कारण हमने बहुत से फोटो लिए तब स्वयं को इस अनमोल क्षण में पाने के लिए प्रभु का आभार मानते हुए परिसर से बाहर आये। 
 (Official site of this temple is - https://www.baps.org/home.aspx)

       अभी तक सबेरे से हम लोग बिना भोजन-पानी के ही थे क्योंकि श्रीकष्टभंजनदेव हनुमान मंदिर और BAPS श्रीस्वामीनारायण मंदिर दोनों ही जगह दर्शन करने थे। अगला पड़ाव 80 किलोमीटर दूर भावनगर से आगे निष्कलंक महादेव का दर्शन करना था। अतः हमलोगों ने अल्पाहार करना उचित समझा। दोनों मंदिरों के बीच वाले रास्ते (जिसमें कई छोटे-छोटे दुकान थे) से चल कर हमलोग एक साइड पहुंचे जहाँ एक ढंग का देसी दुकान नजर आया। यहाँ पकौड़े और गुजराती नाश्ते मिल रहे थे और साथ में चाय भी। हमने स्वादिष्ट नाश्ते का मजा लिया और अतिथिशाला में अपना कमरा खाली कर चाभी काउंटर पर दिया। उन्होंने मेरी सिक्योरिटी मनी वापस की और हमलोगों ने सामान कार में रख कर भावनगर की तरफ प्रस्थान किया जहाँ समुद्र तट के पास निष्कलंक महादेव हैं। इसी के पास हमारा शान्वी रिसोर्ट में कमरा आरक्षित था। 
      अगले ब्लॉग पोस्ट में निष्कलंक महादेव की यात्रा और दर्शन का वर्णन करूँगा।               

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Friday, April 1, 2022

श्रीकष्टभंजनदेव हनुमान मंदिर, सालंगपुर, गुजरात (हिंदी ब्लॉग)

भूमिका
श्रीकष्टभंजनदेव हनुमान मंदिर, सालंगपुर, गुजरात

श्रीकष्टभंजनदेव हनुमान मंदिर, सालंगपुर, गुजरात एक प्रसिद्ध हिन्दू मंदिर है जो स्वामीनारायण संप्रदाय से जुड़ा है। देश के कोने कोने से भक्तजन यहाँ दर्शन के लिए आते हैं ताकि उनके कष्टों का नाश हो और मनोरथ पूरा हो। बहुत से लोग जिन्हें भूत-प्रेत बाधा होती है उनका भी झाड़-फूँक की व्यवस्था है जो परिसर के ही हरिमंदिर के बेसमेंट में होता है। परिसर बहुत ही बड़ा है एवं साफ़ सुथरा है। बहार से आने वाले भक्तों को रुकने के लिए गेस्ट हॉउस / धर्मशाला की भी बढ़िया व्यवस्था है।

श्रीकष्टभंजनदेव हनुमान जी
साळंगपुर, गुजरात 


मन्दिर की स्थापना

    श्रीकष्टभंजनदेव हनुमान जी की स्थापना सद्गुरु गोपालानंद स्वामी द्वारा की गयी है। सद्गुरु गोपालानंद स्वामी का उद्धव सम्प्रदाय (स्वामीनारायण संप्रदाय) के विस्तार में बड़ी भूमिका है। स्वामी जी एकबार बोटाद पधारे थे | उनके दर्शन के लिए साळंगपुर के ठाकुर वाघाखाचर आये | प्रणाम के उपरांत स्वामीजी जी ने कुशल मंगल पूछा | वाघाखाचर ने चिंतित होकर दीन स्वर में प्रार्थना की - "स्वामी जी, पिछले तीन साल से अकाल पड़ रहा है और आर्थिक स्थितियाँ कमजोर हो गयी हैं। संतजन आते तो हैं पर हमारी परिस्थितियाँ देखकर रुकते नहीं, अतः सत्संग दुर्लभ हो गए हैं।" यह सुनकर स्वामीजी का संत हृदय द्रवित हो गया। उन्होंने कहा -"मैं तुम्हें एक भाई देता हूँ जिससे आपकी सब समस्याओं का समाधान हो जायेगा। सब कष्टों का भंजन करनेवाले हनुमानजी की प्रतिष्ठा मैं साळंगपुर में कर देता हूँ। इससे आपके सब कष्ट सर्वदा के लिए मिट जायेंगे।" यह सुनकर ठाकुर साहेब भावविभोर हुए और स्वामीजी के चरणों में अपना मस्तक रख दिया। स्वामीजी ने स्वयं हनुमानजी का चित्र तैयार किया और शिल्पकार कानजी मिस्त्री को मूर्ति तैयार करने हेतु दिया। मूर्ति और मंदिर के तैयार होते ही संवत 1905 के आश्विन कृष्ण पंचमी के दिन शाश्त्रोक्त विधिपूर्वक श्रीकष्टभंजनदेव हनुमानजी की प्राण-प्रतिष्ठा संपन्न हुई। प्रतिष्ठा के बाद स्वामीजी ने हनुमानजी महाराज का आवाह्न किया। हनुमानजी महाराज के मूर्ति प्रवेश होते ही मूर्ति में कम्पन होने लगा। तब स्वामीजी ने हनुमानजी से कहा कि -"जो भी मनुष्य यहाँ स्वामिनारायणजी में निष्ठा रखते हुए अपने कोई भी दुःख ले के आपकी शरण में आये, आप उनके दुःखों का अंत करके उन्हें सुखी करें।" फिर स्वामीजी ने अपने पास से एक लकड़ी देकर कहा - जब किसी भी प्रकार से उपद्रव का नाश न हो तब अंत में इस लकड़ी से स्पर्श किये जल से छिड़काव करने से तुरंत उपद्रव शांत हो जायेगा। 

मंदिर के सामने धार्मिक
पुस्तकों और गिफ्ट सामग्री
की दूकान


स्वामीजी की बात सच्ची हुई। आज भी जो कोई दीन - दुःखी लोग अपने कष्टों को ले कर आते हैं, श्रीकष्टभंजनदेव हनुमान जी की कृपा से उनका दुःख दूर होता है। श्रीकष्टभंजनदेव हनुमान जी आज भी यहाँ साक्षात विराजमान हैं, उनकी कृपा से भक्त-जन लोग यहाँ से हँसते हुए जाते हैं। बिना किसी भेदभाव के यहाँ सभी के कष्टों का निवारण होता है, कोई जात -पात नहीं देखी जाती।

मन्त्र

 श्रीकष्टभंजनदेव हनुमान जी का कष्टहरण मन्त्र निम्नलिखित है। 

"ॐ नमो हनुमते भयभंजनाय सुखं कुरु फट् स्वाहा"

 

व्यवस्था

बाहर से आने वाले भक्तों को चिंता होती है कि रात्रि विश्राम के लिए रेस्ट हाउस में रूम पूर्व से ही बुक हो जाये पर पहले से फोन या ऑनलाइन रूम बुक करने की व्यवस्था नहीं रखी गयी है। इस सम्बन्ध में जब मैंने फोन से पहले पूछा था तो बताया गया कि आने के बाद आपको रुकने की व्यवस्था मिल जाएगी। और उनका यह कहना बिलकुल सत्य था। संयोग ऐसा था की हमें शनिवार के दिन पहुंचना था। सभी जानते हैं कि शनिवार और मंगलवार को श्री हनुमान जी का विशेष दिन होता है और मंदिरों में कई गुना ज्यादा भीड़ होती है। रुकने की व्यवस्था को लेकर मैं थोड़ा चिंतित था क्योंकि परिवार के साथ जाना था, पर बड़े बड़े तीन रेस्ट हाउस देखकर चिंता दूर होगयी और बड़े आराम से एक AC रूम दिया गया जो पर्याप्त बड़ा था और चार सिंगल पलंग लगा था। 

यात्रा
अतिथि गृह, श्रीकष्टभंजनदेव हनुमान मंदिर-
परिसर, रात्रि दृष्य

  हमलोगों का मुख्य उद्देश्य श्रीकष्टभंजनदेव हनुमान मंदिर, सालंगपुर में दर्शन और रात्रि विश्राम था। हमने एक दिन अतिरिक्त रखा ताकि आसपास के धार्मिक स्थलों का भी दर्शन कर लिया जाय। जब ऑनलाइन पड़ताल की तो लगभग 90 किमी दूर भावनगर के पास एक निष्कलंक महादेव मंदिर का पता चला। हमने अगले दिन वहीँ जाने का कार्यक्रम रखा। अतः अगले दिन के रात्रि विश्राम के लिए इसीके पास ठहरने के लिए रूम बुक किया जो "शान्वी रिसोर्ट" में था। चूँकि हमारे निवास स्थान से साळंगपुर बहुत ही दूर है अतः हमने समय बचाने के लिए हवाई यात्रा बुक की जो दिल्ली से एक कनेक्टिंग फ्लाइट द्वारा थी। ठहरने और आने -जाने का इंतेज़ाम होने बाद समस्या थी गुजरात में भ्रमण के लिए टैक्सी की। सबेरे हमें अहमदाबाद एयरपोर्ट पर उतरना था और तीसरे दिन रात में वापसी की फ्लाइट भी वहीं से थी। अतः मैंने तीन दिनों के लिए राउंड ट्रिप टैक्सी की तलाश की। बड़े बड़े यात्रा वाली साइटों जैसे MMT पर टैक्सी का रेट बहुत ही महंगा दिखा। फिर मुझे एक साइट मिला जो cabbazar.com के नाम से था। इसपर मैंने तीन दिनों के लिए रॉउंडट्रिप की टैक्सी बुक कर ली जो एक एर्टिगा कार थी। मुझे ड्राइवर और गाडी का नंबर दे दिया गया जिससे मैंने बात कर अहमदबाद एयरपोर्ट पर सबेरे आने का टाइम दे दिया। 


श्रीकष्टभंजनदेव हनुमान मंदिर परिसर 
स्थित रेस्ट हाउस 

इंडिगो की फ्लाइट थी पर जब आप सस्ता फ्लाइट देखते हैं तो कनेक्टिंग फ्लाइट में बीच में विमान बदलने के दौरान जो इंतज़ार का समय होता है वह बहुत बोरियत भरा होता है अगर समय रात का हो और लगभग छः सात घंटे हो। वही हमारे साथ हुआ। आने और जाने दोनों समय। उसपर भी जाते समय दिल्ली में टर्मिनल 2 पर उतारा गया जबकि कनेक्टिंग फ्लाइट टर्मिनल 1 से थी। पहली बार ऐसा मौका था। सो टर्मिनल बदलने के लिए कुछ यूट्यूब से सीखा और परेशानी न हुई पर दोनों टर्मिनल अच्छी दूरी पर हैं, लगभग आठ किलोमीटर।

श्रीकष्टभंजनदेव हनुमान मंदिर परिसर में बैलगाड़ी
की मूर्ति

सबेरे जब हमलोग अहमदाबाद एयरपोर्ट से निकले तो ड्राइवर और गाड़ी को खोजने में पंद्रह मिनट लग गए क्योंकि जगह और ड्राइवर दोनों ही अपरिचित थे। वहां से हमलोग सीधे साळंगपुर के लिए निकले जो 160 किलोमीटर दूर था। रस्ते में एक जगह चाय पी। जब हमलोग एक बजे मंदिर परिसर पहुंचे तो गाड़ियों की अपार संख्या देखकर दंग रह गए। गाड़ी की पार्किंग के लिए जगह नहीं मिल रही थी। मुझे रात्रि विश्राम के लिए कमरे की चिंता थी तो मैंने पार्किंग के लिए निर्देश दे कर गेस्ट हाउस के रिसेप्शन पर पहुंचा। मेंबर्स की संख्या और कमरे का प्रकार जान कर उन्होंने मुझे एक AC कमरा दिया जिसके लिए 1200 रूपये चार्ज और 500 रूपये सिक्योरिटी मनी लिया गया। कमरे में अटैच टॉयलेट वाशरूम और एक बालकनी थे। परिवार और सामान को कमरे पर लाकर पहले तो हमलोग फ्रेश हुए फिर श्रीकष्टभंजनदेव हनुमान जी (दादा) के दर्शन के लिए परिसर स्थित मंदिर की ओर चले। अभी दर्शन बंद था, तो तबतक हमलोगों ने आसपास स्थित सुविधाओं का जायजा लिया। मंदिर के पास ही कुछ दुकान हैं जिनमें भगवन को छुलाया जल का बोतल 10-10 रूपये में दिए जा रहे थे। रक्षा -सूत्र और पुस्तकों की अलग दुकान थी। एक बड़ी दुकान जिसमें दादा के विभिन्न साइज़ के फोटो और souvenir मिल रहे थे। बगल में ही बड़ी सी भोजनशाला थी। मंदिर के बगल में ही विभिन्न प्रकार के दान के लिए काउंटर भी बने थे।

1. श्रीहरि मंदिर में विग्रह, 2. अंदर के हॉल का दृश्य 
3. हॉल के अंदर श्रीस्वामीनारायण प्रभु की बैलगाड़ी
4. मंदिर के सामने यज्ञशाला
(श्रीकष्टभंजनदेव हनुमान जी मंदिर परिसर, सालंगपुर,गुजरात) 

लगभग तीन बजे दर्शन के लिए मंदिर का पट खुला जिसमे महिलाओं और पुरुषों के लिए अलग अलग लाइन की व्यवस्था थी और भीड़ अत्यधिक। यद्यपि फोटो खींचना मना था पर लोग आराम से अपने अपने मोबाइल से फोटो और वीडियो बना रहे थे। इस वजह से जब तक आप नजदीक न पहुँच जाएँ या आपकी हाइट सामान्य से अधिक न हो तब तक दादा का दर्शन होना मुश्किल है। पहली बार श्रीकष्टभंजनदेव हनुमान जी का दर्शन कर स्वयं को धन्य मानते हुए मंदिर से निकले। मंदिर के दाहिने द्वार से निकलते ही देखा की पुआल की बनी छोटी सी यज्ञशाला में कुछलोग हवन यज्ञ कर रहे हैं। इसके बगल में ही एक हरी मंदिर है जिसमे स्वामीनारायण प्रभु की मूर्तियां हैं। मंदिर के बड़े से हाल में एक कोने में श्री स्वामीनारायण प्रभु की बैलगाड़ी लटका कर रखी गयी है जिसे सभी आस्थापूर्वक छू रहे हैं। उनके नहाने का पत्थर भी दूसरे कोने में रखा गया है। मंदिर के बरामदे पर कुछ भीड़ देखी तो पता चला कि भूत व्याधियों से ग्रस्त लोग आते हैं जिनका बेसमेंट में झाड़फूंक होता है, उनको नंबर से पुकारा जा रहा था।


भोजनशाला          

भोजनशाला के अंदर का दृष्य,
SriKashtbhanjandev Hanuman Mandir Campus
Salangpur, Gujrat

 अब हम सभी को भूख का एहसास हुआ तो गए भोजनशाला के अंदर। भोजनशाला का हॉल बहुत बड़ा है। स्टील की थालियाँ, कटोरी और चम्मच एक जगह रखीं थीं। हमने एक -एक सेट बर्तन उठाये और लाइन में लगकर चावल, दाल, सब्ज़ी, खीर और हलवा लिए और बैठने के लिए टेबल पर थोड़ी साफ़ जगह देखकर भोजन प्राप्त किया। हमलोग देर से भोजनशाला में आये थे इसलिए अधिकतर टेबल पर भोजन के अंश गिरे थे। इन्हें लगातार सफाई की व्यवस्था न थी। खाने के बाद जूठे बर्तनों को सफाई के स्थान पर रखकर हमने हाथ धोये। निकलने वाले द्वार के पास पीने के पानी की व्यवस्था है।  


परिसर
भव्य पिछला द्वार, श्रीकष्टभंजनदेव हनुमानजी
मंदिर, सालंगपुर,गुजरात

  भोजन के पश्चात् हमलोग परिसर में घूमे और और मोबाइल से फोटोग्राफी किया। लाइफ साइज बैलों की जोड़ी की मूर्तियों के पास फोटो खींचने वालों का जमावड़ा था। इस तरफ भी एक बड़ा सा सजावटी द्वार है जिधर से सिर्फ पदयात्री ही प्रवेश कर सकते हैं। क्योंकि इधर सीढ़ियाँ बनी हुई हैं और वाहन प्रवेश संभव नहीं है।  इस द्वार से निकलने पर पाया कि यह सड़क आगे कहीं गाँव में जाती है। सड़क के दूसरी ओर एक और बड़ा परिसर है जो श्रीस्वामिनारायण मंदिर का परिसर है। इस समय गेट बंद था तो हमने सबेरे इस मंदिर में आने की योजना बनाई। इस सड़क के एक तरफ छोटी छोटी दुकानें थीं जिसमे खिलौने, फोटो, मूर्तियां, कलाकृतियाँ और जूस -कोल्ड ड्रिंक्स बिक रहे थे। वहां से वापस मंदिर परिसर में घूमते -देखते रूम पर आये और आराम किया।  फिर संध्या आरती देखने शाम को मुख्य मंदिर गए। वहाँ जब दर्शन बंद हुआ तो हमलोग मुख्य गेट के पास चाय पीने गए। इस गेट के पास भी परिसर में कई दुकानें हैं जिसमे एक अच्छा सा रेस्टॉरेंट भी है। पर यहाँ भीड़ बहुत थी।  किसी तरह चाय मिली पर पता नहीं क्यों चाय जैसी स्वाद नहीं आ रहा था।

Neelkanth Mahadev Temple at
SriKashtbhanjandev Hanumanji Temple campus
Salangpur, Gujrat

काफी देर के बाद जब भीड़ कुछ कम हुई तो हमने पंजाबी और गुजराती थाली ले कर यहीं भोजन किया। अबतक मौसम सुहाना हो चुका था, परिसर में रौशनी, चौड़े रास्ते और गार्डन बहुत ही अच्छा महसूस हो रहा था। जगह- जगह बैठने के लिए बैंच बने थे। हमलोगों ने भी वहां बैठ कर मौसम और समय का आनंद लिया। फ़िर जल्दी ही रूम में सोने गये ताकि सबेरे उठकर बिना कुछ खाये दर्शन हो जाये। योजना के अनुसार अगले दिन दर्शन कर परिसर मे कुछ फोटो, छुलाये जल का बोतल और रक्षा सूत्र खरीदा और दान वाले काउन्टर पर यथोचित दान किया |


नारियल फोडने वाले हनुमान्  
प्रसाद का नारियल फोड़नेवाले
हनुमानजी, सालंगपुर, गुजरात

     इसके बाद प्रसाद मे चढ़ाये गए सूखे नारियल को कैसे फोड़ें यह समस्या थी क्योंकि सुरक्षा कारणों से इन्हें हवाई यात्रा में ले जाने में झिझक हो रही थी। हमने देखा कि भोजनशाला के कोने पर एक बड़े से पीतल के हनुमान जी की मूर्ति है जिनका मुख बड़ा सा खुला हुआ है। लोग नारियल को उनके मुख में डाल रहे हैं और वह अंदर से आधा टूट कर मूर्ति के बायें हाथ से नीचे एक बर्तन में गिर रहा है। हमने भी ऐसा ही किया। यह कौतुक भरा दृष्य यूट्यूब के इस लिंक पर देखा जा सकता है।  

नारियल फोड़ते हनुमान जी

साळंगपुर मंदिर 

     इसके बाद हमलोगों ने पड़ोस के परिसर स्थित श्री स्वामीनारायण मंदिर में दर्शन करने का सोचा। पिछले द्वार से निकल कर हमलोग श्रीस्वामीनारायण मंदिर के परिसर की और चले। इसका विवरण अगले ब्लॉग में।     

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