श्री अष्टविनायक में से एक श्री महागणपति मंदिर,रांजणगाँव, महाराष्ट्र का मुख्य सड़क पर शोभाद्वार |
जब हमलोग शनि सिंगणापुर से मुंबई की ओर जा रहे थे तो आपस में बातें कर रहे थे कि मुंबई में जो एक दिन का बचा हुआ समय मिल रहा था उसमें कहाँ कहाँ जाना है। मुंबई में गणपति उत्सव धूम-धाम से मनाया जाता है यह हमलोग जानते थे विशेष कर 'लालबाग का राजा' के बारे में उत्सुकता थी। ड्राइवर से पूछा तो उसने बताया कि उत्सव में वहाँ प्रत्येक वर्ष मूर्ती बनती है शायद परमानेंट मंदिर नहीं है। सिद्धविनायक मंदिर वहाँ प्रसिद्ध है। इसी सन्दर्भ में अष्टविनायक का नाम आया तो उसने बताया कि महाराष्ट्र में गणपति के आठ प्रसिद्ध मंदिर हैं जिन्हें अष्टविनायक बोला जाता है। इनमें से दो तो आगे रास्ते में ही मिलेंगे, उनके दर्शन कर लेना। एक और तो परली के पास ही था, यदि पहले बोलते तो वहाँ भी दर्शन करा देता। पर हमें तो पहले पता ही नहीं था अतः हमने उसे आगे के दो मंदिर दिखाने का आग्रह किया।
इंटरनेट पर अष्टविनायक के बारे में सर्च किया तो महाराष्ट्र के अष्टविनायक के नाम इस प्रकार मिले - 1. मयूरेश्वर गणेश मंदिर, मोरगांव, 2. सिद्धि विनायक, सिद्धटेक, 3. बल्लेश्वर मंदिर, पाली, रायगढ़, 4. वरद विनायक (महाद मंदिर), रायगढ़, 5. चिंतामणि मंदिर, थेऊर, 6. गिरिजात्मज लेण्याद्रि मंदिर, जुन्नार (गुफा मंदिर), 7. विघ्नेश्वर ओज़ार मंदिर, कुकड़ी, जुन्नार तथा 8. रांजणगाँव में महागणपति। कहा जाता है कि ये अष्टविनायक स्वयंभू हैं और इनमें सूंढ़ तथा रत्नजड़ित आँखों के अतिरिक्त अन्य कोई अंग स्पष्टता से नहीं दिखते।
श्रीमहागणपति मंदिर, रांजणगाँव का पीछे से दृश्य |
रास्ते में पहले हमें रांजणगाँव के महागणपति मिलने वाले थे। कहा जाता है कि स्वयं महादेव ने इस गणपति मंदिर की स्थापना की थी। आधुनिक समय में मंदिर का गर्भ गृह माधवराव पेशवा द्वारा बनवाया गया था तथा बाहरी हॉल इंदौर के सरदार किबे द्वारा।
श्री महागणपति मंदिर, रांजणगाँव का प्रवेश द्वार |
मंदिर का प्रवेश मुख्य सड़क से करीब 150 मीटर दूर एक ब्राँच रोड में है। किन्तु मुख्य सड़क पर एक विशाल शोभा द्वार बनाया गया है। ड्राइवर ने गाड़ी इस शोभा द्वार से पहले एक मार्केट काम्प्लेक्स के पार्किंग में खड़ी की। हमलोग पैदल ही शोभा द्वार हो कर बढ़े।
श्रीमहागणपति मंदिर प्रांगण में भक्त-निवास |
किसी उत्सव की तरह एक गायक-नर्तक मंडली द्वारा जुलुस की तरह बढ़ा जा रहा था। आगे बढ़ने पर एक और टीम द्वारा गाना-बजाना किया जा रहा था। मंदिर का प्रवेश साधारण था अतः हमें पूछ कर जाना पड़ा। गेट के पास एक दुकान से प्रसाद ले कर वहां चप्पल खोले और प्रवेश किया। परिसर काफी बड़ा था। विशेष अवसर पर ज्यादा भीड़ से निबटने के लिए क्यू बनाने की भी व्यवस्था थी। ज्यादा भीड़ नहीं थी, लाइन में दस पंद्रह व्यक्ति ही थे। श्री महागणपति के दर्शन कर निकास द्वार से निकलते ही देखा कि 25-30 नर -नारी निकास द्वार से ही किसी युवा नेता और उनकी पत्नी के साथ घुसे। शायद उनका कुछ विशेष अवसर था। बाद में देखा कि मंदिर के गेट पर खूब साज-सज्जा से एक बड़ी सी गाड़ी और उसके पीछे अन्य गाड़ियाँ बारात की तरह खड़ी थीं। संभवतः नृत्य मंडलियाँ उन्हीं की थीं।
गर्भ गृह के पीछे एक बड़ा सा आँगन है तथा बड़ा सा भक्त निवास भी। इससे निकल कर अहाते से होकर निकलने का रास्ता था। अहाते को बढ़िया पेड़-पौधों से सजाया गया था तथा कई तरह की मूर्तियाँ बनायीं गयीं थी। इस गार्डेन में कई भक्तजन परिवार बच्चों के साथ अच्छा समय व्यतीत कर रहे थे। मंदिर परिसर से बाहर निकल कर अपने चप्पल लिए और गाड़ी के पास आये। देखा ड्राइवर नींद में था, और हमें चाय की तलब हो रही थी। मार्केट तो यहाँ था ही, तो एक चाय दुकान में हमने चाय पी और वड़ा-पाव खाया।
श्रीमहागणपति मंदिर परिसर के गार्डन में बैलगाड़ी की मूर्ति |
गाड़ी से हमलोग पुणे से पहले थेऊर के पास पहुँचे। यहाँ एक और अष्ट विनायक थे -श्री चिंतामणि गणपति। यह मंदिर मोरया गोस्वामी के पुत्र धरणीधर देव द्वारा स्थापित है। उनके करीब 100 वर्षों बाद माधवराव पेशवा द्वारा मंदिर का सभा मंडप बनवाया गया। मंदिर से ठीक पहले एक बड़ा पार्किंग है किन्तु यहाँ तक आने का रास्ता भीड़-भाड़ वाला है। ड्राइवर ने गाड़ी पार्किंग में खड़ी की। हमलोग मंदिर के बाहर चप्पल खोल कर अंदर गए। दर्शन में यहाँ थोड़ा समय लगा क्योंकि भीड़ थी। इस मंदिर का परिसर उतना बड़ा न था जितना श्री महागणपति मंदिर का था। दर्शन के बाद हमने फोटो वगैरह लिए और बाहर आये। यहाँ पर फल वाले कई तरह के फल बेच रहे थे। हमने कुछ अमरुद ख़रीदे और पार्किंग में खड़ी गाड़ी में बैठ कर निकल गए। करीब पाँच बजे हमलोग एक तिराहे के पास पहुंचे जहाँ कई रेस्टॉरेंट्स थे। भूख लग रही थी तो वहीँ खाया। निकलते हुए शाम का धुंधलका होने लगा था। ड्राइवर ने कहा कि रस्ते में ही लोनावला भी है। जानते थे कि अच्छी जगह है पर मुंबई में होटल बुक था ऊपर से शाम होने लगी थी तो लोनावला जा नहीं सकते थे।
श्री चिंतामणि गणपति, थियूर, महाराष्ट्र (अष्टविनायक में से एक) |
अटल सेतु से होकर हमलोग मुंबई के होटल में आये। सेतु से पहले हाईवे पर कई सुरंगों से हो कर गाड़ी गुजरी जो बहुत ही अद्भुत और मनोहारी थी।
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इस ब्लॉग के पोस्टों की सूची
34. Panchghagh Waterfalls (पंचघाघ झरने), Khunti/Ranchi, Jharkhand
33. Rajrappa Waterfalls, Ramgarh, Jharkhand
32. Khutta Baba Mandir and the Tenughat Dam
31. Maya Tungri Mandir - The Mahamaya Temple, Ramgarh, Jharkhand
30. Toti Jharna, Tuti Jharna Temple at Ramgarh, Jharkhand
29. ISKCON Temple and The Birla Temple at Kolkata
28. Belur Math, Howrah
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