Friday, December 6, 2024

श्रीत्रयम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग यात्रा

रात्रि में श्रीत्रयम्बकेश्वर मंदिर



     जैसा कि मैं पिछले ब्लॉग में महाराष्ट्र में चार ज्योतिर्लिङ्ग, शिरडी एवं शनि-सिंगणापुर की यात्रा का कार्यक्रम (Itinerary) लिख चुका हूँ, उसी के अनुरूप हमारी पहली यात्रा श्रीत्रयम्बकेश्वर ज्योतिर्लिङ्ग के दर्शन पूजन हेतु होनी थी। विमान से छत्रपति शिवजी महाराज इंटरनेशनल एयरपोर्ट पहुँच कर बहार निकलते-निकलते दिन के डेढ़ बज चुके थे। ऑनलाइन राउंड ट्रिप के लिए बुक किये हुए कैब को ढूंढकर सीधे हमलोग नाशिक जाने वाले रोड पर निकले क्योंकि हमारा लक्ष्य था त्रिम्बक पहुँचना जो नाशिक से लगभग १५ किलोमीटर पहले है। यहीं पर श्रीत्रयम्बकेश्वर ज्योतिर्लिङ्ग विराजमान हैं। मुंबई शहर के भीड़ और आगे घाटियों से बढ़ते हुए हमलोग Ertiga टैक्सी में बढ़े जा रहे थे और ज्यों ज्यों समय बीत रहा था हमें जोर की भूख लगनी शुरू हो गयी। परन्तु कोई ढंग का हिन्दू होटल नजर नहीं आ रहा था। लगभग साढ़े चार बजे हमें एक ढंग का होटल दिखा और हमलोग हमलोग वहाँ खाने रुके। शायद सिद्धू होटल नाम था। खाना बढ़िया था। खा कर जब आगे बढ़े तो फिर कई अच्छे होटल दिखने लगे। ड्राइवर कोल्हापुर का रहने वाला था और कम बोलता था। आजकल कहीं जाने के लिए ड्राइवर्स को किसी से रास्ता पूछना नहीं पड़ता बल्कि गूगल मैप से शॉर्टेस्ट समय वाला रास्ता खोज लेते हैं। उसने भी पूरे ट्रिप में मैप खोल कर फोन को गोद में ही रखा। 

     हमलोग त्रिम्बक लगभग आठ बजे शाम में पहुँचे। रविवार का दिन था, भीड़ थी यहाँ। हमने मंदिर के पास देखकर जो होटल लिया था वह था होटल साईं यात्री। मैप देख कर ड्राइवर गाड़ी को होटल के सामने लाया और भीड़ देख कर बोला कि सबेरे गाड़ी यहाँ तक न आ पायेगी, इधर नहीं आने देता, गाड़ी पिछले चौक पर खड़ा करूँगा। मैं सोच में पड़ गया कि इतना सारा सामान होटल से गाडी तक कैसे जायेगा ! सामान उतारने से पहले मैं होटल के रिसेप्शन पर गया ताकि रूम कन्फर्म कर सकूँ जो ऑनलाइन बुक किया था। उन्होंने रूम कन्फर्म किया और पूछा कि गाड़ी से आये हैं ? मैंने कहा हाँ। उसने कहा कि गाड़ी को होटल के दूसरी तरफ लायें क्योंकि होटल का फ्रंट पैरेलल सड़क में दूसरी तरफ था, यह बैक साइड था होटल का। हमलोग रिसेप्शन पर गए, रजिस्टर में नाम वगैरह भरा, तबतक ड्राइवर गाड़ी को होटल के सामने घुमा कर ला चुका था। वहां से सामन उतार कर लिफ्ट तक लाना आसान था। सामान उतार कर होटल स्टाफ ने गाड़ी को सामने ही पार्क करा दिया। 

          हमलोग रूम पर जा कर फ्रेश हुए। और मंदिर जा कर संध्या दर्शन करने का सोचा। साथ ही सबेरे की पूजा के लिए किसी पंडित जी से भी बात करने सोची थी। होटल वाले ने ही बताया कि जल्दी जाओ, नौ बजे मन्दिर का पट बंद हो जाता है। मंदिर परिसर का मुख्य द्वार जो उत्तरी द्वार भी है, से सामान्य जनों को नहीं जाने दिया जाता। सामान्य प्रवेश पूर्वी द्वार से होता है जिधर पूछते हमलोग चले। गलियों में फूल दुकान वाले फूल लेने और दुकान में चप्पल रखने बुला रहे थे। एक दुकान अंदर चप्पल रख कर और एक दोना फूल लेकर हमलोग पूर्वी द्वार से घुसे और लाइन में लगने आगे जाते दर्शनार्थियों के पीछे - पीछे चले। जब लाइन में लगे तो पाया कि हमलोग क्यू -काम्प्लेक्स (लाइन में रखने के लिए बने कमरों) में खड़े हैं। भक्तों को लाइन में रखने के लिए हॉल में स्टील की रेलिंग्स बनी थी जिसमें बीच -बीच में बैठने के लिए बेंच भी थे। धीरे -धीरे लाइन बढ़ रही थी। इस हॉल को लाइन में पूरा चल कर हमलोग दूसरे इसी तरह के हॉल में पहुँचे। पता लगा कि हमलोगों को ऐसे पाँच हॉल पार कर मन्दिर तक पहुँचना था। दो हॉल को पार करने में ही एक घंटे पार गए। दर्शन बंद होने का डर सता रहा था, पर एक सिक्यूरिटी वाले ने बोला कि जो भी लाइन में हैं उन्हें दर्शन करा कर ही पट बंद होगा। 

        नमः शिवाय जपते -जपते भी लाइन में खड़े बोर हो रहे थे। जब अन्तिम हॉल से निकले तो साढ़े दस बज चुके थे। मंदिर में प्रवेश से पहले तीन लाइनें बनायीं गयीं थी। ये एक छोटे रूम के सामने थीं। हमलोग बीच की लाइन से घुसे जबकि कुछ लोग दोनों साइड से रूम के बहार किनारे से बढ़े। हमलोग जब रूम में घुसे तो पाया कि यहाँ एक नंदी जी की मूर्ती थी। जो साइड से गए उन्होंने नंदी जी को बाईपास कर दिया था। यहाँ से निकल हमलोग मुख्य मंदिर में पूरब ओर से प्रवेश किये। घुसते ही एक हॉल था जिसके सामने गर्भ -गृह था। दर्शन के लिए हॉल के दाहिने किनारे से गर्भ -गृह तक लाइन की व्यवस्था थी। हॉल के बीच में फर्श पर एक मार्बल का कछुआ बना था। 

           जब हमलोग दर्शन के लिए गर्भ-गृह के सामने पहुंचे तो पाया कि श्रीत्रयम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग सब शिवलिंगों से अलग हैं। इनके बारे में मंदिर में प्रवेश के समय एक बोर्ड पर भी भक्तों को बताया गया है। जहाँ सामान्य शिवलिंग सतह से ऊँचे उठे होते हैं, श्रीत्रयम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग पत्थर में एक लगभग दस इंच व्यास के गड्ढ़े में तीन कोनों पर छोटे -छोटे तीन लिंगों के रूप में विराजमान हैं। इन तीनों को महेश, विष्णु और ब्रह्मा माना जाता है। पुजारी इन्हें स्पर्श करते समय एक साथ अंगूठे, तर्जनी एवं कनिष्ठ उँगलियों से छूते हैं। यद्यपि गर्भ-गृह के दरवाजे पर दर्शन करने के स्थान से श्रीत्रयम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग थोड़े नीचे लेवल पर हैं फिर भी सीधे देखने पर पूरा नजर नहीं आते, अतः मन्दिर प्रशासन द्वारा सामने की दीवार पर एक बड़ा सा आइना तिरछा कर इस प्रकार लगाया गया है कि दर्शनार्थी को उसमें श्रीत्रयम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग स्पष्ट नजर आये। हमलोगों ने दर्शन कर सामने हॉल में कुछ देर बैठने का निर्णय किया। सामने लगे CCTV स्क्रीन पर गर्भ-गृह में श्रीत्रयम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग का थोड़ी देर और दर्शन किया। फिर सबेरे की स्पर्श पूजा हेतु वहाँ के एक पंडितजी से पूछा तो उन्होंने स्पष्ट कहा कि यहाँ दर्शनार्थियों को गर्भ-गृह में जाने की अनुमति नहीं है सिर्फ कुछ पुजारी ही जा सकते हैं। स्पर्श पूजा नहीं कर सकते। 

      मन्दिर के पट बंद होने का समय हो रहा था। वहाँ से निकल परिसर के मुख्य द्वार से बहार आये। लगभग 11 बजने वाले थे। भूख भी लग रही थी, पर पहले फ़ूल वाले का प्लास्टिक डलिया लौटना था और अपने चप्पल भी लेने थे। दूकान जा कर देखा तो पाया कि हमारे चप्पल बंद शटर के सामने थे। हमने दूकान का डलिया वहीं डेस्क के नीचे रखा और चप्पल ले कर होटल की तरफ चले। होटल  के नीचे ही खाने के दो दूकान खुले थे। एक में खा कर कमरे पर आये। सबेरे पूजा कर आगे भी निकलना था, सो कतार में ३ घंटे समय नहीं दे सकते थे। अतः दो-दो सौ रूपये का पास ऑनलाइन ही कटा लिया।  

     सबेरे तैयार हो कर 5:45 बजे हमलोग उत्तर द्वार पर पहुंचे क्योंकि पास वाले का प्रवेश इधर से ही होता है। वहाँ पर मौजूद सुरक्षाकर्मी द्वारा बताया गया कि पास वाले की एंट्री 6:00 बजे प्रातः से शुरू होती है। समय बिताने के लिए हमलोगों ने पूजा के लिए फूल ख़रीदे और द्वार के पास ही फोटो -वीडियो बनाने लगे। समय पर द्वार से प्रवेश कर हमलोग मंदिर के पास पहुँचे। मन्दिर का जो प्रवेश हमारे सामने था उससे हमलोग सीधे मंदिर के हॉल में उस जगह पहुँचे जहाँ से दर्शनार्थियों की कतार आगे बढ़ रही थी और उस स्थान से लगभग 15 लोग आगे थे। हमलोग उसी स्थान पर लाइन में घुसे। तभी हॉल के अंदर के एक पुजारी ने अभिषेक पूजा कराने के बारे में पूछा। जलाभिषेक 1100/-, पंचामृत अभिषेक 2500/- से लेकर अन्य पूजा 5100/- से अधिक के बताया। हमलोगों ने 2500/- वाली पूजा कराने का बोला, तब उन्होंने हमें हॉल के अंदर बुला लिया जहाँ कई और पुजारी भी भक्तों को बिठाकर पूजा करा रहे थे। हमें भी 15 मिनट बिठा कर विधि पूर्वक संकल्प पूजा इत्यादि कराया, फिर वे संकल्पित जल को श्रीत्रयम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग के अभिषेक हेतु ले कर गर्भ-गृह में प्रवेश किये और हमें बैठे-बैठे ही टीo वीo पर उन्हें अभिषेक करते हुए देखने को कहा। स्क्रीन पर गर्भ-गृह का दृश्य लगातार आ रहा था। हमलोगों ने संकल्पित जल-आदि से अभिषेक करते हुए देखा। फिर पूजा समाप्त कर सीधे दर्शन कराया। इसके बाद हमलोग निकास द्वार से मुख्य मंदिर से बहार निकले। मंदिर परिसर में एक बड़ा सा त्रिशूल है जिसके साथ लोग फोटो भी खिचवाते हैं। एक चबूतरे पर हनुमान जी का भी पूजन स्थल है। परिसर में हमलोग लगभग 15 मिनट तक घूमे और फोटो खिचवाया। मंदिर के बाहर उत्तर-पूर्वी कोने के पास एक श्रीत्रयम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग की प्रतिकृति एवं एक सामान्य शिवलिंग भी रखा गया है। यहाँ आप स्पर्श कर पूजा भी कर सकते हैं। 

मंदिर के बाहर श्रीत्रयम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग
की प्रतिकृति 

              मंदिर से निकलने के बाद हमने आस-पास स्थित कुंडों को देखने का सोचा। जो सबसे प्रसिद्ध कुंड है वह है कुशावर्त कुण्ड जहाँ स्नान का बहुत महत्व है। जब नाशिक में कुम्भ लगता है तो संत लोग पहले यहीं से स्नान शुरू करते हैं। हमारी इच्छा थी कि दिन में त्रिम्बक पहुँचने पर संध्या को पहले यहाँ स्नान करते किन्तु कल हमलोग काफी देर से पहुँचे थे तो स्नान न कर पाये। अतः आज पूजा के बाद यहाँ आ कर कुंड का जल अपने ऊपर छिड़का। मैप पर देखते हुए हमलोग बढे थे। एक इंद्र-कुंड है पर एक गंदे तालाब की तरह। एक और बड़ा तालाब देखा जो गौतम तालाब है। इसमें एक जगह काफी मछलियाँ उछाल रही थीं। मैप पर एक अमृत कुण्ड दिख रहा था जो देखने में गौतमी नदी का उद्गम प्रतीत हो रहा था। जब हमलोग वहाँ पहुंचे तो कोई कुण्ड न था, इसके स्थान पर एक गायत्री माता मंदिर था। बगल से जो गौतमी नदी थी वह एक बड़े पक्के नाले की तरह था जिसमें पानी नाम मात्र ही था। आगे बढ़ने पर अहिल्या-गोदावरी संगम के पास तर्पण करने का स्थान था जहाँ कुछ लोग दिखाई दिए। यह मंदिर के पीछेवाला हिस्सा था। पूछते हुए हमलोग पूर्वी द्वार की तरफ से घूम कर मुख्य द्वार के सामने आये जहाँ सभी ने नाश्ता किया और कुछ सामान की खरीददारी कर होटल आये। होटल से चेक-आउट कर हमलोग अपने अगले पड़ाव पंचवटी, नाशिक की ओर बढ़ चले। 

(पंचवटी, नाशिक और साईं मंदिर शिरडी की यात्रा अगले ब्लॉग में)

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