भूमिकाश्रीकष्टभंजनदेव हनुमान मंदिर, सालंगपुर, गुजरात
श्रीकष्टभंजनदेव हनुमान मंदिर, सालंगपुर, गुजरात एक प्रसिद्ध हिन्दू मंदिर है जो स्वामीनारायण संप्रदाय से जुड़ा है। देश के कोने कोने से भक्तजन यहाँ दर्शन के लिए आते हैं ताकि उनके कष्टों का नाश हो और मनोरथ पूरा हो। बहुत से लोग जिन्हें भूत-प्रेत बाधा होती है उनका भी झाड़-फूँक की व्यवस्था है जो परिसर के ही हरिमंदिर के बेसमेंट में होता है। परिसर बहुत ही बड़ा है एवं साफ़ सुथरा है। बहार से आने वाले भक्तों को रुकने के लिए गेस्ट हॉउस / धर्मशाला की भी बढ़िया व्यवस्था है।
श्रीकष्टभंजनदेव हनुमान जी साळंगपुर, गुजरात |
मन्दिर की स्थापना
श्रीकष्टभंजनदेव हनुमान जी की स्थापना सद्गुरु गोपालानंद स्वामी द्वारा की गयी है। सद्गुरु गोपालानंद स्वामी का उद्धव सम्प्रदाय (स्वामीनारायण संप्रदाय) के विस्तार में बड़ी भूमिका है। स्वामी जी एकबार बोटाद पधारे थे | उनके दर्शन के लिए साळंगपुर के ठाकुर वाघाखाचर आये | प्रणाम के उपरांत स्वामीजी जी ने कुशल मंगल पूछा | वाघाखाचर ने चिंतित होकर दीन स्वर में प्रार्थना की - "स्वामी जी, पिछले तीन साल से अकाल पड़ रहा है और आर्थिक स्थितियाँ कमजोर हो गयी हैं। संतजन आते तो हैं पर हमारी परिस्थितियाँ देखकर रुकते नहीं, अतः सत्संग दुर्लभ हो गए हैं।" यह सुनकर स्वामीजी का संत हृदय द्रवित हो गया। उन्होंने कहा -"मैं तुम्हें एक भाई देता हूँ जिससे आपकी सब समस्याओं का समाधान हो जायेगा। सब कष्टों का भंजन करनेवाले हनुमानजी की प्रतिष्ठा मैं साळंगपुर में कर देता हूँ। इससे आपके सब कष्ट सर्वदा के लिए मिट जायेंगे।" यह सुनकर ठाकुर साहेब भावविभोर हुए और स्वामीजी के चरणों में अपना मस्तक रख दिया। स्वामीजी ने स्वयं हनुमानजी का चित्र तैयार किया और शिल्पकार कानजी मिस्त्री को मूर्ति तैयार करने हेतु दिया। मूर्ति और मंदिर के तैयार होते ही संवत 1905 के आश्विन कृष्ण पंचमी के दिन शाश्त्रोक्त विधिपूर्वक श्रीकष्टभंजनदेव हनुमानजी की प्राण-प्रतिष्ठा संपन्न हुई। प्रतिष्ठा के बाद स्वामीजी ने हनुमानजी महाराज का आवाह्न किया। हनुमानजी महाराज के मूर्ति प्रवेश होते ही मूर्ति में कम्पन होने लगा। तब स्वामीजी ने हनुमानजी से कहा कि -"जो भी मनुष्य यहाँ स्वामिनारायणजी में निष्ठा रखते हुए अपने कोई भी दुःख ले के आपकी शरण में आये, आप उनके दुःखों का अंत करके उन्हें सुखी करें।" फिर स्वामीजी ने अपने पास से एक लकड़ी देकर कहा - जब किसी भी प्रकार से उपद्रव का नाश न हो तब अंत में इस लकड़ी से स्पर्श किये जल से छिड़काव करने से तुरंत उपद्रव शांत हो जायेगा।
मंदिर के सामने धार्मिक पुस्तकों और गिफ्ट सामग्री की दूकान |
मन्त्र
श्रीकष्टभंजनदेव हनुमान जी का कष्टहरण मन्त्र निम्नलिखित है।
"ॐ नमो हनुमते भयभंजनाय सुखं कुरु फट् स्वाहा"
व्यवस्था
बाहर से आने वाले भक्तों को चिंता होती है कि रात्रि विश्राम के लिए रेस्ट हाउस में रूम पूर्व से ही बुक हो जाये पर पहले से फोन या ऑनलाइन रूम बुक करने की व्यवस्था नहीं रखी गयी है। इस सम्बन्ध में जब मैंने फोन से पहले पूछा था तो बताया गया कि आने के बाद आपको रुकने की व्यवस्था मिल जाएगी। और उनका यह कहना बिलकुल सत्य था। संयोग ऐसा था की हमें शनिवार के दिन पहुंचना था। सभी जानते हैं कि शनिवार और मंगलवार को श्री हनुमान जी का विशेष दिन होता है और मंदिरों में कई गुना ज्यादा भीड़ होती है। रुकने की व्यवस्था को लेकर मैं थोड़ा चिंतित था क्योंकि परिवार के साथ जाना था, पर बड़े बड़े तीन रेस्ट हाउस देखकर चिंता दूर होगयी और बड़े आराम से एक AC रूम दिया गया जो पर्याप्त बड़ा था और चार सिंगल पलंग लगा था।
यात्राअतिथि गृह, श्रीकष्टभंजनदेव हनुमान मंदिर-
परिसर, रात्रि दृष्य
परिसर, रात्रि दृष्य
हमलोगों का मुख्य उद्देश्य श्रीकष्टभंजनदेव हनुमान मंदिर, सालंगपुर में दर्शन और रात्रि विश्राम था। हमने एक दिन अतिरिक्त रखा ताकि आसपास के धार्मिक स्थलों का भी दर्शन कर लिया जाय। जब ऑनलाइन पड़ताल की तो लगभग 90 किमी दूर भावनगर के पास एक निष्कलंक महादेव मंदिर का पता चला। हमने अगले दिन वहीँ जाने का कार्यक्रम रखा। अतः अगले दिन के रात्रि विश्राम के लिए इसीके पास ठहरने के लिए रूम बुक किया जो "शान्वी रिसोर्ट" में था। चूँकि हमारे निवास स्थान से साळंगपुर बहुत ही दूर है अतः हमने समय बचाने के लिए हवाई यात्रा बुक की जो दिल्ली से एक कनेक्टिंग फ्लाइट द्वारा थी। ठहरने और आने -जाने का इंतेज़ाम होने बाद समस्या थी गुजरात में भ्रमण के लिए टैक्सी की। सबेरे हमें अहमदाबाद एयरपोर्ट पर उतरना था और तीसरे दिन रात में वापसी की फ्लाइट भी वहीं से थी। अतः मैंने तीन दिनों के लिए राउंड ट्रिप टैक्सी की तलाश की। बड़े बड़े यात्रा वाली साइटों जैसे MMT पर टैक्सी का रेट बहुत ही महंगा दिखा। फिर मुझे एक साइट मिला जो cabbazar.com के नाम से था। इसपर मैंने तीन दिनों के लिए रॉउंडट्रिप की टैक्सी बुक कर ली जो एक एर्टिगा कार थी। मुझे ड्राइवर और गाडी का नंबर दे दिया गया जिससे मैंने बात कर अहमदबाद एयरपोर्ट पर सबेरे आने का टाइम दे दिया।
श्रीकष्टभंजनदेव हनुमान मंदिर परिसर स्थित रेस्ट हाउस |
श्रीकष्टभंजनदेव हनुमान मंदिर परिसर में बैलगाड़ी की मूर्ति |
1. श्रीहरि मंदिर में विग्रह, 2. अंदर के हॉल का दृश्य 3. हॉल के अंदर श्रीस्वामीनारायण प्रभु की बैलगाड़ी 4. मंदिर के सामने यज्ञशाला (श्रीकष्टभंजनदेव हनुमान जी मंदिर परिसर, सालंगपुर,गुजरात) |
लगभग तीन बजे दर्शन के लिए मंदिर का पट खुला जिसमे महिलाओं और पुरुषों के लिए अलग अलग लाइन की व्यवस्था थी और भीड़ अत्यधिक। यद्यपि फोटो खींचना मना था पर लोग आराम से अपने अपने मोबाइल से फोटो और वीडियो बना रहे थे। इस वजह से जब तक आप नजदीक न पहुँच जाएँ या आपकी हाइट सामान्य से अधिक न हो तब तक दादा का दर्शन होना मुश्किल है। पहली बार श्रीकष्टभंजनदेव हनुमान जी का दर्शन कर स्वयं को धन्य मानते हुए मंदिर से निकले। मंदिर के दाहिने द्वार से निकलते ही देखा की पुआल की बनी छोटी सी यज्ञशाला में कुछलोग हवन यज्ञ कर रहे हैं। इसके बगल में ही एक हरी मंदिर है जिसमे स्वामीनारायण प्रभु की मूर्तियां हैं। मंदिर के बड़े से हाल में एक कोने में श्री स्वामीनारायण प्रभु की बैलगाड़ी लटका कर रखी गयी है जिसे सभी आस्थापूर्वक छू रहे हैं। उनके नहाने का पत्थर भी दूसरे कोने में रखा गया है। मंदिर के बरामदे पर कुछ भीड़ देखी तो पता चला कि भूत व्याधियों से ग्रस्त लोग आते हैं जिनका बेसमेंट में झाड़फूंक होता है, उनको नंबर से पुकारा जा रहा था।
भोजनशाला
भोजनशाला के अंदर का दृष्य, SriKashtbhanjandev Hanuman Mandir Campus Salangpur, Gujrat |
परिसरभव्य पिछला द्वार, श्रीकष्टभंजनदेव हनुमानजी
मंदिर, सालंगपुर,गुजरात
मंदिर, सालंगपुर,गुजरात
भोजन के पश्चात् हमलोग परिसर में घूमे और और मोबाइल से फोटोग्राफी किया। लाइफ साइज बैलों की जोड़ी की मूर्तियों के पास फोटो खींचने वालों का जमावड़ा था। इस तरफ भी एक बड़ा सा सजावटी द्वार है जिधर से सिर्फ पदयात्री ही प्रवेश कर सकते हैं। क्योंकि इधर सीढ़ियाँ बनी हुई हैं और वाहन प्रवेश संभव नहीं है। इस द्वार से निकलने पर पाया कि यह सड़क आगे कहीं गाँव में जाती है। सड़क के दूसरी ओर एक और बड़ा परिसर है जो श्रीस्वामिनारायण मंदिर का परिसर है। इस समय गेट बंद था तो हमने सबेरे इस मंदिर में आने की योजना बनाई। इस सड़क के एक तरफ छोटी छोटी दुकानें थीं जिसमे खिलौने, फोटो, मूर्तियां, कलाकृतियाँ और जूस -कोल्ड ड्रिंक्स बिक रहे थे। वहां से वापस मंदिर परिसर में घूमते -देखते रूम पर आये और आराम किया। फिर संध्या आरती देखने शाम को मुख्य मंदिर गए। वहाँ जब दर्शन बंद हुआ तो हमलोग मुख्य गेट के पास चाय पीने गए। इस गेट के पास भी परिसर में कई दुकानें हैं जिसमे एक अच्छा सा रेस्टॉरेंट भी है। पर यहाँ भीड़ बहुत थी। किसी तरह चाय मिली पर पता नहीं क्यों चाय जैसी स्वाद नहीं आ रहा था।
Neelkanth Mahadev Temple at SriKashtbhanjandev Hanumanji Temple campus Salangpur, Gujrat |
नारियल फोडने वाले हनुमान् प्रसाद का नारियल फोड़नेवाले
हनुमानजी, सालंगपुर, गुजरात
हनुमानजी, सालंगपुर, गुजरात
इसके बाद प्रसाद मे चढ़ाये गए सूखे नारियल को कैसे फोड़ें यह समस्या थी क्योंकि सुरक्षा कारणों से इन्हें हवाई यात्रा में ले जाने में झिझक हो रही थी। हमने देखा कि भोजनशाला के कोने पर एक बड़े से पीतल के हनुमान जी की मूर्ति है जिनका मुख बड़ा सा खुला हुआ है। लोग नारियल को उनके मुख में डाल रहे हैं और वह अंदर से आधा टूट कर मूर्ति के बायें हाथ से नीचे एक बर्तन में गिर रहा है। हमने भी ऐसा ही किया। यह कौतुक भरा दृष्य यूट्यूब के इस लिंक पर देखा जा सकता है।
इसके बाद हमलोगों ने पड़ोस के परिसर स्थित श्री स्वामीनारायण मंदिर में दर्शन करने का सोचा। पिछले द्वार से निकल कर हमलोग श्रीस्वामीनारायण मंदिर के परिसर की और चले। इसका विवरण अगले ब्लॉग में।
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इस ब्लॉग के पोस्टों की सूची :--
33. Rajrappa Waterfalls, Ramgarh, Jharkhand
32. Khutta Baba Mandir and the Tenughat Dam
31. Maya Tungri Mandir - The Mahamaya Temple, Ramgarh, Jharkhand
30. Toti Jharna, Tuti Jharna Temple at Ramgarh, Jharkhand
29. ISKCON Temple and The Birla Temple at Kolkata
28. Belur Math, Howrah
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